सुबह सबेरे धरती की गोद में कोसी के तीर पर मखमल-सी मुलायम दूब के शीर्ष पर मोतियों-सी चमकती ओस की बूँदों पर लिख दिया है मैंने तुम्हारा नाम ! किशोर कल्पनाओं की पर्वतीय चोटियों पर मोरपंखी झाड़ियों पर, समुद्री उफानों पर सरगम के तरानों पर चितेरे बादलों ...
‘गैस सलेण्डर’ पाने के लिए अग्निपथ पर लगी है लम्बी लाइन कब से…….दूर तलक….! तपस्यारत दीखता एक छोटा सा बालक पसीने से लथपथ ! एक हाथ में मूल्य जमा रसीद लिए दूसरे हाथ से खिसका रहा वह खाली सलेण्डर बेहद खुश है वह बालक कि ...
बेटी के बापू से पूछो क्या-क्या मजबूरी आती है ? रे दरवाजे से बिन ब्याहे बारात लौट जब जाती है ? अपनी बेटी को गले लगा वह ‘तिलक’ विरोधी व्रत ले ले खुदकुशी करे मजबूर पिता या खुद घर छोड़ कहीं चल दे ...